महादेव पर शनि की दृष्टी का प्रभाव ।



शनि की दृष्टी का प्रभाव कैसे होताहै ।

एक दिन नारद मुनि आकाश मार्ग से भ्रमण कर रहेथे । वो अपने नियमित दिन चर्यासे ऊब गए होते हैं। उन्हें रास्ते मे शनि देव मिलतेहै । वह सोचतेहै कुछ अलग किया जाए। जब शनि देव उन्हें देखते है तो बोलते है
"प्रणाम मुनिवर "
"प्रणाम शनिदेव, आप कहा जा रहे है?"
"में तो एसेही भ्रमण पर निकला हु। आप बताइए आप कह निकले है।"
" में क्या योगी हु ,जहा रास्ता ले जाए वह जाता हूं, रास्ते से याद आया क्या आप महादेव से मिलने गए है क्या, ओ आपको याद कर रहेथे।"
"यह तो मेरा सौभाग्य है कि स्वयं भगवान भक्त को बुला रहेहैं।में कल ही उनसे मिलूंगा।"
और दोनों अपने अपने मार्ग जातेहै ।
mahadev,shaniki vakra drushti
महादेव 

इसके बाद नारद मुनि महादेव से मिलने जातेहै। और उन्हें बतातेह की कल शनिदेव आपसे मिलने वालेहे ।
यह सुनकर महादेव पुचतेहै क्या कोई विशेष कार्य हैं क्या?
इस पर नारद मुनि बोलतेह नही प्रभु, पर एक चिंतकी बात तो है।
"केसी चिंता नारद मुनि"
"जिस पर भी शनिदेव की दृष्टि पडतीहै , उनके पीछे उनकी साडे साती लग जातीहै , मुझे तो लगता है कि शायद आपके साथ भी ऐसा ना हो, इसलिए में सूचित करने को चला आया।"
और फिर नारद मुनि चले जाते


इस बात पर महादेव सोचने लगते है, और वह हल निकलते हैं।
सोचते हैं अगर में कल कैलाश पे उपस्थित नहीं रहूंगा तो शनि देव मुझे नहीं देख पाएंगे और आगे कुछ होगा ही नहीं।
दूसरे दिन शनि देव आनेसे पहालेही महादेव जंगल में चले जाते है। यहां शनि देव कैलाश पर आकर महादेव को ना पाकर निराश हो जाते हैं और सोचते है में यही रुक जाता हूं जब तक महादेव नहीं आते।
यहा जंगल में महादेव हत्तियोका झुंड देखते और हत्ती के बचे देख वो बहुत खुश होते हैं। वह खुद हात्ती के बच्चे का रूप लेकर उनके साथ खेलने लगतेहे उनके सात हरी हरी पत्तियां खाने लगते हैं।
यह शनिदेव उनकी शाम तक राह देखते हैं और सोचते है अब चले जानाही उचित है।


और यहां महादेव सोचते है शाम हो गई है शनि देव चले गए होगे।
और वह भी कैलाश की ओर प्रस्थान करते है।
लेकिन बीच में ही आते आते उन्हें शनिदेव मिल जाते हैं।
यह देखकर वह सोचते है कि मेने जिस कार्य के लिए यह मेहनत की थी वह तो व्यर्थ हो गए।
शनिदेव उनसे मिलकर बोहात खुश होते हैं।
ओर वो उन्हें बताते है कि में आपकी सूबाहसे राह देख रहा था।
तो महादेव बोलते है मुझे पताथा इसलिए तो में यह से चला गया था।
तो शनिदेव ऐसा किव प्रभु। इस पर महादेव नारद मुनि ओर आज दिन भर क्या किया यह सब बता दे ते है।
फिर महादेव पूछते है ,"लेकिन आपके वक्र दृष्टि का मुजपे कोई प्रभाव नहीं हुआ , कीव?"
शनिदेव कहते है ," क्षमा करे प्रभु पर मेरी वक्र दृष्टि का आप पे प्रभाव हुआ है?"
"कैसे?"
" आपको दिन भर हात्ती रूप में जो रेहाना पड़ा!"
"लेकिन में तो उसमे खुश था।"
"प्रभु मेरे वक्र दृष्टि का प्रभाव होने के लिए मुझे किसीको देखना नहीं पड़ता , उस के कर्मोके अनुसार उसपर प्रभाव होता हैं। आप महान योगी हो इसलिए आप पर मेरा प्रभाव कब पड़ा यह आपको पता भी नहीं चला , इसी प्रकार जो महान योगी ओर पुण्यात्मा होगी उसपर कम ओर  पापी जनो पर मेरी वक्र दृष्टि का प्रभाव ज्यादा होताहै।"
यह बात बताकर ओ चले जाते हैं।
इसी प्रकार अपने अपने कर्मो के अनुसार हम पर शनि देव के दृष्टि का प्रभाव होता हैं।

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