क्यों किया महादेव ने कामदेव को भस्म ओर केसे हुआ शिव पार्वती विवाह?| kyo kiya madev ne kamdev ko bhasm or kese huva shiv parvati vivah?


क्यों किया महादेव ने कामदेव को भस्म ओर केसे हुआ शिव पार्वती  विवाह?

महादेव सती के मृत्यु के बाद उसका शरीर लेकर चारो और घूम रहे थे तब विष्णु ने उनके टुकड़े कर के शरीर को नष्ट कर दिया । जब महादेव ने देखा कि ओ अब ऐसे ही घूम रहे है तब वह एक जगह रुख गए ओर उन्होंने एक गुफा अपना निवास स्थान बना लिया। जहा पर वह समाधि लगाकर बैठ गए ।

उस समय राक्षसो का राजा तारकासुर था।उसने ब्रम्हा की घोर तपस्या की ओर उन्हें प्रसन्न कर लिया।तब ब्रह्माजी प्रगट हुए ओर उन्होंने तारकासुर से वरदान मांगने के लिए कह, तारकासुर बड़ा चालख था उसने कहा , "मेरी मृत्यु सिर्फ भगवान शिव के पुत्र के द्वारा ही  होगी।"
तो ब्रम्हा ने उसे यह वरदान दिया कि उसकी मृत्यु सिर्फ भगवान शिव के पुत्रके हातों होगी।
तारकासुर को पता था कि महादेव सती की विरह में है और अब किसिभी परिस्थिति में शादी नहीं करेंगे तब उनका कोई पुत्र नहीं होगा ओर उसकी कभी मृत्यु भी नहीं होगी।



mahadev parvati,kamdev bhasm
shiv parvati

क्यों किये भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े और केसे बने शक्तिपीठ? | kyo kiye bhagavan vishanune sati ke sharir ke tukade or kese bane shakti pith

ब्रम्हा से प्रार्थना 

तारकासुर अपने ताकत के घमंड में चूर होकर  उसने पृथ्वी पर कब्ज़ा कर लिया। उसके बाद देवतावोको हराके उसने स्वर्गपर भी अपना कब्ज़ा जमा लिया । उसके भय से देवता चारो ओर भागने लगे ओर अलग अलग जगा जा कर छुप गए। तारकासुर अपने ताकत के मध में धुंध होकर चारो और अत्याचार करने लगा। देवताओं को खोजते  फिरने लगा । उसके भय से सारे देवता आपस में मिलकर ब्रम्हा के पास गए । ओर उनसे कहा है परमपिता आपने तारकासुर को जो वरदान दिया है, इसकी वजह से उसने स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया है। अब आप ही कुछ उपाय बताए ओर हमें इन कष्टों से मुक्त करे।
तब ब्रम्हा जी ने कहा," डरनेकी कोई जरूरत नहीं ,जल्द ही देवी सती पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेगी ओर उसके बाद महादेव ओर उनका विवाह हो जाएगा ओर उनका पुत्र तारकासुर का वध करेगा।"

पार्वतीका जन्म 

उसके कुछ समय पश्चात हिमालय के घर एक पुत्री ने जन्म लिया उसका नाम पार्वती रखा गया।उसके जन्म के पश्चात पर्वत राज के राज्य में खुशियां छा गई। एक दिन जब नारद मुनी पर्वतराज के घर गए।तब पर्वतराज ने उनसे उस कन्या का भविष्य पूछा तो उन्होंने बताया यह तो स्वयं जगदम्बा है।  इसका भविष्य तो अच्छा ही होगा , तब पर्वतराज ने उनकी शादी के बारेमे पूछा तो उन्होने कहा उनकी शादी ऐसे के साथ होगी जो एक बैरागी होगा ,जिसके सर पर छत नहीं होगी ,जो साधु जैसा वेश करके घूमेगा,उसे किसी भी चीज से मोह नहीं होगा। यह सुनते हैं पर्वतराज नाराज हो गए ,उन्होंने कहा मेरी पुत्री के भाग्य में ऐसा दुर्भाग्य कीव आप ही कुछ उपाय बताएं।तब नारद जी ने कहा आप एक काम कर सकते हैं। आप आपकी पुत्रिका विवाह शिव जी के साथ यदि करादे तो,उनकी यह सब विशेषता ये है ओर वह देवो के देव है, इसका मतलब आपकी पुत्रीका कल्याण ही होगा। उन्हें नारद की यह बात पसंद आइ तब पार्वती ने शिव को प्रसन्न करने का उपाय पूछा तब उन्होंने कहा कि तप ही एक मात्र उपाय है। जो महादेव को प्रसन्न कर पाएगा।

शिव को क्यों कहा जाता हैं अर्धनारिश्वर ? | shiv ko kiv kaha jatahe ardhnari shwar ?

नारद मुनि की बात मान देवी जंगलों में चली जाती है।ओर जहां पर शिव समाधि लगाए बैठे थे ,उसी गुफा के बाहर वह तपस्या करने लगती है घोर तपस्या करने के बाद भी उन्हें शिव प्रसन्न नहीं होते। तब वह अन्न त्याग देती हैं फिर जल भी त्याग देती है ओर सिर्फ वायु का सेवन करती हैं। इससे उनका शरीर दुर्बल होने लगता है। यह सब देखकर देवता गन भगवान विष्णु के पास जाते है ओर उनसे जल्दी ही समस्या का मार्ग निकालने के लिए कहते हैं। तब वह एक मार्ग बताते है ,वह सुनकर सब देवता सोच में पेड़ जाते है । लेकिन फिर वह ऐसा करने के लिए तयार हो जाते है।

कामदेव को भस्म किया 

अब सब देवता कामदेव के पास जाते है। ओर उनसे विनती करते है कि वह अपना तीर शिव पर चलाएं जिससे उनकी समाधि भंग हो जाए ओर वह देवी पार्वती से विवाह करने के लिए तयार हो जाए।कामदेव पहले डर जाते है ।पर सबके कल्याण के लिए वह बात मान जाते है। कामदेव जब गुफा में जाते हैं ,तो महादेव को देखकर डर जाते है पर वह तीर चला देते है। उनका तीर महादेव को लगता है जिनसे उनकी समाधि भंग हो जाती हैं ,जिससे वह गुसा हो कर उठते है ,सामने कामदेव को देखकर अपनी तीसरी आंख खोलकर उसे भस्म कर देते है। बाद में उनका ध्यान देवी पार्वती पर जाता हैं।ओर उन्हें ज्ञात होता है कि यही देवी सती है ओर उन्हें यह भी समाज जाता है कि वह तप किस लिए कर रही है। तब महादेव उन्हसे कहते हैं,"में तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं मागो क्या वर मांगना है।" तब देवी पार्वती कहती है," में आपको अपने पति रूप में पाना चाहती हूं।" महादेव उसे यह वरदान देते है ,ओर कहते है की सप्तऋषि जब तुम्हारे घर आयेगे उसके बाद हमारे विवाह की तिथि निश्चित होगी ओर उन्हें घर जाने के लिए कहते है।
एक तरफ देवी रती जो कामदेव की पत्नी होती है, वह बोहोत शोकाकुल होती हैं । वह महादेव से अपने पति के जीवन की प्रार्थना करती है ,उसकी करुणा भरी प्रार्थना सुन के भोलेनाथ का मन  द्रवित हो जाता है ओर वह कहते है ,"कामदेव का शरीर नहीं रहा पर वह बिना शरीर के अपना कार्य करते रहे गे ,ओर जब भगवान विष्णु द्वापारयुग में अवतार लेगे तब उनके पुत्र के रूप में कामदेव का जन्म होगा ।" इससे देवी रती भी खुश हो जाती हैं।

तारकासुर वध 

इसके कुछ समय पश्चात भगवान शिव ओर देवी पार्वती का विवाह हो जाता हैं । उसके पश्चात उन्हें महापराक्रमी पुत्र होता हैं जिसका नाम कार्तिकेय रखा जाता हैं। कार्तिकेय जब बड़े हो जाते है तब वह ब्रम्हा के वरदान का मान रखते हुए ओर देवतो की विनती सुनकर वह युद्ध में तारकासुर का वध करते है।

अगर आप कोई आपकी पसंद की कहानी सुनना चाहते है तो मुझे जरूर कॉमेंट में बता ये ।

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link/ words in the comment box

Popular Posts

क्यों किये भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े और केसे बने शक्तिपीठ? | kyo kiye bhagavan vishanune sati ke sharir ke tukade or kese bane shakti pith

कैसे बना एक डाकू वाल्मिकी रामायण का रचेता ? कोन थे वाल्मिकी ऋषि?| Kese bana ek daku valmiki ramayan ka racheta? Kon the valmiki rushi? ( Hindu mythology)

क्यो मिला कर्ण को कवच ? और कौन थे नर - नारायण?| kyo mila karn ko kavach ? or kon the nar narayan? (hindu mythology)