क्यो किया भगवान परशुराम ने अपनी माता रेणुका का वध?| kiv kiya bhagvan parshuram ne apni mata renukaka vadh
क्यो किया भगवान परशुराम ने अपनी माता रेणुका का वध ? kiv kiya bhagvan parshuram ne apni mata renukaka vadh
जमदग्नि ऋषि और माता रेणुका ने घोर तपस्या करने के बाद उनके घर आशीर्वाद रूप में एक पुत्र जन्मा उसका उन्होंने नाम राम रखा। उस पुत्र ने भगवान शिव की तपस्या कर एक परशु प्राप्त किया जिसके कारण उसका नाम परशुराम पड़ गया। परशुराम को भगवान विष्णु का छटा अवतार कहा जाता है। जिनका जन्म क्षत्रियों के बढते वर्चस्व को खत्म कर समाज मे संतुलन बनाने के हेतु से हुवा था। यह उनके जीवन की एक कहानी है।अश्वत्थामा को कृष्ण का शाप | krushanka ashwathama ko shap immortal ashwathama
जमदग्नि ऋषि और माता रेणुका के शादी के बाद रेणुका माता जमदग्नि ऋषि को अपने हर कार्य मे मदत करती थी। जब भी ऋषि कुछ यज्ञ होम हवन करते तो रेणुका उसमे उनकी मदत करती । यज्ञ की सामग्री लाना , तयारी करना यह सब कार्य वह मन पूर्वक करती थी। वह हर सुबह उठ कर पानी लाती थी इसके लिए वह हर रोज अपने तपोबल औऱ कार्य को समर्पित होने के कारण मिलनी वाली शक्ति से सूखी रेत का घड़ा बनाकर उसमें पानी भर लाती।
parshuram by rajaravi varma |
माता रेणुका का लक्ष्य विचलित होता हैं । mata renukaka laksh vichalit hotahe
एक दिन ऐसेही जब माता रेणुका सरस्वती नदी में जल लाने जाती है। तब नदी पर कुछ गंधर्व और अप्सरा जल क्रीड़ा कर रही थी। वह बस अपने मैं ही मग्न थे। उन्हें देख कर रेणुका का मन विचलित हो जाता हैं। ओर वह जमदग्नि ओर अपने बारेमे सोचने लगती हैं। इसके कारण उनका ध्यान भंग हो जाता हैं। जब उन्हें पानी भरने की याद आती है तो वह घड़ा बनाने लगती हैं पर ध्यान भंग होने के कारण वह सुकी मिटी से घड़ा नही बना पाती हैं। इसलिये पानी ले जाना उनके लिए मुश्किल हो जाता हैं ।और उन्हें आश्रम लौटने में भी देरी हो जाती है।जमदग्नि ऋषि माता रेणुका की राह देख रहे थे। पर उनकी देरी के कारण यज्ञ का शुभ मुहर्त बितने लगता हैं । जैसे जैसे देरी होती है वैसे वैसे जमदग्नि ऋषि का क्रोध बढ़ने लगता हैं । जब रेणुका माता वापिस आतिहै ओर उनके पास पानी का घड़ा न देखकर जमदग्नि ऋषि क्रोधित होते हैं। उन्हें पानी न लानेका कारण पूछते हैं पर रेणुका माता कुछ नही बोल पाती और चुपचाप खड़ी रहती हैं । जमदग्नि त्रिकाल दर्शी होते है ,वह अपने बल से जान ले ते है की क्या हुवा था और वह गुसेमे आकर रेणुका माता को आश्रम से बाहर निकाल दे ते है।
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रेणुका माता का प्रायश्चित | mata renukaka pryachhit
जंगल में भटकती हुए रेणुका माता अपने पति से कैसे फिर से मिले इसका मार्ग खोजने लगती हैं। एक दिन वह प्रभु दत्तात्रेय के शिष्यों से मिलती है और उनसे प्रार्थना करती हैं कि वह उनका मार्गदर्शन करें । इसपर नाथ पंथी ऋषि बता ते है कि तुम्हें आजसे तीन दिन तक घर घर जाकर भिक्षा ( जोगवा* please read note below for more information*) मांगनी पड़ेगी, और जो भी तुम ले कर आओगी उसमेंसे आधा तुम्हे ऋषियों को बाटना पड़ेगा और बचा हुवा तुम्ह अपने लिए रख सक्ती हो, पर इसके बाद भी जब तुम्ह अपने पति के पास जाओगी तब तुम्हे कुछ समय के लिए कष्ट सहना पड़ेगा जिसकी तुम्हणे अपेक्षा नही की होगी। रेणुका माता इसकी लिए तैयार हो जाती हैं। वह जोगवा मांगने का काम तीन दिन करती हैं और ऋषि यो ने जैसे बताया था वैसाही करती हैं।तीन दिन बाद वह जमदग्नि के आश्रम में जाति है।
परशुराम द्वारा माता रेणुका का वध | parshuram dvara mataka vadh
जब जमदग्नि ऋषि माता रेणुका को देखते है तो वह क्रोध से भर जाते है। वह अपने पुत्रों को बुलाते है और उन्हें आज्ञा देते है कि वह रेणुका का वध कर दे। उनकी यह बात सुनकर उनके पुत्र उन्हें विरोध करते हैं। तब वह अपने सबसे छोटे पुत्र परशुराम को आज्ञा देते हैं कि वह अपनी माता का वध करे । परशुराम बड़े पितृ भक्त होते है। वह अपने पिता की बात सुनकर दुविधा में पड़ जाते है , उन्होने बात नही सुनी तो पितृ आज्ञा का भंग होगा अगर सुनते हैं तो मातृ हत्या का पाप लगे गा। लेकिन पहले पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए यह सोचकर वह अपना परसा उठाते हैं और माता को मारने के लिए चल देते है। उनके बीच उनके भाई आते है , वह उन्हें हराकर आगे बढ़ते हैं। उनके पुत्रो का यह दुःसाहस देख वह उन्हें शाप देते है कि वह अपने सोचने की शक्ति खो बैठे गे। परशुराम अपने परसेसे माता का सिर धड़ से अलग कर देता है।रेणुका माता को फिर से जीवन | renuka matako phir se jivan
यह देखकर जमदग्नि अपने आज्ञापालक पुत्र पर खुश होते है ,ओर कहते है," में तुम्हपर बोहत खुश हूं पुत्र, मांगो क्या वर मांगना हैं।"शायद इसी बात का इंतजार परशुराम कर रहे थे।
तब वह कहते है कि," देना ही है तो माताको फिर से जीवित कर दीजिए और मेरे भाई योंको शमा कर दे।" पुत्र की यह चतुरता देख जमदग्नि खुश होकर उसकी इच्छा पूर्ण करते हैं और माता रेणुका को भी माफ कर उनका स्वीकार कर ते है।
*Note -
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ भागों में माता रेणुका के नाम पर भिक्षा मांगने को जोगवा मांगना कहते हैं।
रेणुका माता यल्लमा या यलुआई के नाम से भी जानी जाती है। माता को मानने वाला बोहत बडा संप्रदाय है जो ज्यादातर महाराष्ट्र और कर्नाटक में है। ओर दक्षिण के कुछ राज्य में भी है। इस संप्रदाय पर जोगवा नामकी मराठी फिल्म भी आयी हैं। इस फ़िल्म में एक गाना है "नदीच्या पल्याड़ आईचा डोंगर" इसमें माता रेणुका की कहानी बताई गई है (अगर आप को मराठी आतिहै तो आप वह गाना जरूर सुने)। जब माता रेणुका की मृत्यु हो जाती है तो परशुराम निराश होकर अपने गुरु दत्तात्रेय से मिलते हैं तब दत्तात्रेय बोलते है तुम्हारी माता रेणुका माहुर गड पर शक्ति रूप में अवतार लेगी और वहा पर तुम्ह उसकी पूजा कर सकोगे । तबसे माहुर की रेणुका माता प्रसिद्ध है और उन्हें महाराष्ट्र के शक्तिपीठो मेसे एक माना जाता हैं।
Bahot sundar
जवाब देंहटाएंThank you
जवाब देंहटाएंKhup chhan
जवाब देंहटाएंThank you
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