क्या भगवान श्रीकृष्ण की 16008 पत्नी या थी? | bhagwan shri krishna ki kitni patniya thi ?
क्या भगवान श्रीकृष्ण की 16008 पत्नी या थी? | bhagwan shri krishna ki kitni patniya thi?
bhagavan krushna |
krishna ki patniyo ke naam
ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की 16008 पत्निया थी । और इसके बारेमे कुछ कहानिया भी प्रचलित हैं। अगर कहा जाए तो श्रीकृष्ण की आठ पत्निया थी उनके नाम रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रविंदा, नाग्नाजिती, भद्रा और लक्ष्मणा थे। उनमेंसे रुक्मिणी श्रीकृष्ण की मुख्य रानी मानी जाती है। अब आतेहै 16000 पत्नी यो पर......केसे मिला कर्ण को परशुराम का शाप? | kese mila karn ko parshuram ka shap?
story of 16000 wives of krishna in hindi
द्वापरयुग में भारत के उत्तरपूर्व की ओर नरकासूर नामक राक्षस राज्य करतात था। वह बड़ा शक्तिशाली था । उसने अपने आसपास के सभी राज्योको अपने अधीन कर लिया था और उसने उस राज्य की राजकुमारी ओर रानीयो को बंधी बना लियाथा। वह बस वही तक नही रुका उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर इंद्रा को हराया था। और उसके बाद देव माता अदिति के कान की बालिया लेकर भाग गयाथा ओर जब उसने पाताल पर आक्रमण किया तो उसने वरुण देव का शाही छाता अपने विजय के प्रतीक स्वरूप वहा से ले आया था ।माता अदिति की बालिया ओर वरुण देव का शाही छाता इन दोनों की जिमेदारी का बोझ अब इंद्र देव पर आ गयाथा। एक पुत्र हो कर वह अपने माँ की बालियो की रक्षा न कर सका और वैसेही एक राजा होकर अपनी अधीन वरुण देव की संपत्ति ना बचा सखा इस प्रकार वह राजा और पुत्र का कर्तव्य नही निभा पाया।नरकासुर शक्तिशाली होने के कारण उससे सिर्फ इंद्र देव ने लड़ना किसी भी प्रकार उन्हें विजय नही दिल पाता। इसलिए उन्हें एक ही रास्ता दिखा।
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इंद्र ने मांगी श्रीकृष्ण से मदत
स्वयं नारायण ही उनकी मदत कर सकते थे ,ओर उस समय नारायण श्रीकृष्ण अवतार लिए धरती पर थे। इंद्र देव फिर श्रीकृष्णसे मदत मागने गए और उन्हें अपनी सारी व्यथा बताई। उन्होंने कहा ," है मधुसूदन ,नरकासुर का आतंक बोहत बढ़ गया है,उसने माताका अपमान कर उनके कुंडल चुरा लिए है। ओर माता ने आदेश दिया है कि वह कुंडल वापस लाये जाय, इस समस्त विश्व में आपके अलावा माताका आदेश को कोई पूरा नही कर सकता,कृपया मेरी मदत करे।"इस बात पर श्रीकृष्ण प्रसन्न होकर बोले आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नही हैं, में यह कार्य जरूर पूरा करुगा ।
श्रीकृष्ण ने अपने वाहन गरुड़ को लेकर ओर अपनी सहायता करने के लिए अपनी पत्नी सत्यभामा को साथ लिया।
कृष्ण द्वरा नरकासुर का वध
जब श्रीकृष्ण नरकासुर की नगरी प्राग्ज्योतिषपुर में पोहचे तब वहा पर बोहत बड़ा संग्राम हुवा उसकी तुलना देव असुर संग्राम से की जाती हैं । आखिर कार श्रीकृष्ण नरकासुर के गुफा तक पोहचने मे सफल हो गए, दोनों के बीच बड़ा भारी युद्ध हुआ। पर नरकासुर श्रीकृष्ण के सामने टिक नहीं सका ।आखिर में श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। श्रीकृष्ण की विजय देख सभी लोग देवता आनंदित हो गए। ओर वह दिन हम दीपावली पर्व में नरकचतुर्दशी के नाम से मनाते हैं।भगवान विष्णु ने क्यों लिया वामन अवतार? | bhagavan vishnune kyu liya vaman avatar
16000 स्री योंकि मुक्ति और विवाह
भवगवन कृष्ण ने देव माता अदिति के कुंडल लेकर इन्द्र को वापस कर दिए, ओर वरुण देव का शाही छाता उन्हें लोटा दिया।उन्होंने वहासे 16000 स्री योको मुक्त किया , ओर उन्हें अपने अपने घर लौट जाने के लिये कहा। पर स्रियों ने श्रीकृष्ण से कहा,"अब हम किसी भी हालत में घर नही जा सकते,पहले तो घर वाले हमे कलंकित कहेगे ओर घर मे नही लेगे ओर अगर उन्होंने हमें घर मे लिया भी तो, समाज हमारा जीवन नरक समान कर देगा और हमे ताने सुनते हुए जिना पड़ेगा"
उनकी इस बात में भी सत्य था । इसलिए भगवान कृष्ण उन्हें द्वारका ले आये। द्वारका तो स्वयं भगवान कृष्ण की नगरी थी।वहा पर सबी स्रियां सुरक्षित रहे गी। पर किस अधिकार और कोनसा कार्य वह वाहा करेगी , जिस समाज ने माता सीता को अग्नि परीक्षा देने के लिए मजबूर किया वह समाज इन स्रीयोको कोनसी दृष्टिसे देखेगा । यह सभी बाते सोच के भगवान श्रीकृष्ण ने यह निर्णय लिया कि वह इन स्री यो से विवाह करेगे। ओर उन्हें पत्नी का दर्जा देगे जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी उनके बारेमे कोई गलत बाते नही करेगा ओर वह भगवान श्रीकृष्ण की शरण मे है यह संदेश भी जाएगा।
द्वारका पोहचने पर श्रीकृष्ण ने सब स्री योंको अपने नाम का धागा मंगलसूत्र स्वरूप दिया। और उनके लिए महल बनाये ओर उनकी सेवाएं करने के लिए दासिया भी दी।
इस प्रकार श्रीकृष्ण की 16000 पत्नी थी। ओर उनसे शादी का उदेद्श्य सिर्फ परोपकार था ।
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