भगवान विष्णु ने क्यों लिया वामन अवतार? | bhagavan vishnune kyu liya vaman avatar


भगवान विष्णु ने क्यों लिया वामन अवतार?

असुर राज बली ने अपने सामर्थ्य के बल पर तीनों लोक पे अपना राज्य प्रस्तापित की या था । वह असुर राज तो था ही लेकिन एक ज्ञानी ओर महा पंडित एवं विष्णु का परम भक्त था। हम ये कह सकते है कि उसे भक्ति अपने दादाजी प्रल्हाद से मिलीथी जिनके लिए स्वयं भगवान विष्णु अवतार धारण कर धरती पर आयेथे। वह असुर राज होते हुए भी पृथ्वी लोक पर लोगोके लिए अति प्रिय थे। वह संत ,महात्मा ,ऋषी,मुनी गरीब लोगोंको दान धर्म करके धर्म के मार्ग पर अग्रेसर थे। इसमें  उनके गुरु शुक्राचार्य का भी बड़ा योगदान था।


लेकिन इताना सब होते हुए भी उनसे एक तबका खुश नहीं था। उनमें मुख्य कर स्वर्ग से निकाले गए देवता थे । वह हर प्रकार से प्रयास कर रहे थे कि राजा बलि को केसे भी करके हराया जाना चाहिए । पर उसके शक्ति के सामने उनकी एक भी ना चलती । ओर छल कपट से तो असुर राज भलीभांति वाकिफ थे । तो ओ रास्ता भी बंद हो गया था। देवो ने अनेक जगहों से मदत लेनी चाही पर उन्हें  मदत नहीं मिल पाई।
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वामन 

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माता अदिति की प्रार्थना 

अपने पुत्रोकी यह हालत देख देव माता अदिति व्यथित हो गई। वह भगवान विष्णु के पास जाकर मदत मांगने लगी। उसकी यह बात सुनकर भगवान विष्णु ने कहा ," है देव माता अदिति मैं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लेकर राजा बली से स्वर्ग और पृथ्वी का राज्य छीन लुगा। ओर दोवोको उनका राज्य पुन्हा प्राप्त हो जाएगा ।"
भगवान विष्णु ने भी सही सोचाथा क्यों की प्रकृतिका संतुलन बिगड़ा रहता । ओर बली कितने भी अच्छे राजा हो पर उनके साथ राज्य करने वाले असुर कहीं ना कहीं लोगों पर अन्याय कर रहे थे, जिसे रोकना जरूरी बन गए था।

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भगवान वामन का जन्म 

तब भगवान विष्णु ने एक छोटे ब्राम्हण के रूप में माता अदिति के घर जन्म लिया। उस वक्त राजा बलि एक बड़ा यज्ञ कर रहे थे । ओर ब्राम्हणों को दान धर्म कर रहे थे। वह अपने यहा आए किसी भी याचक को खाली नहीं भेजते थे। इसी यज्ञ में वामन अपने लिए दान मागने गए। सबको दान देने के बाद आखिर में वामन थे।
उन्होंने कहा," मुझे ज्यादा की लालसा नहीं आप बस मुझे तीन पग भूमि दे दे जहां पर में खुशी से रह लूगा।"
उनकी यह बाते सुनकर सारे लोग हसने लगे ,
इसपर राजा बलि बोले,"है ब्राम्हण देवता तीनों लोको पे मेरा राज्य है । जहां पर भी आप तीन पग रखेगे वह भूमि आपकी होगी।"
इस पर गुरु शुक्राचार्य बोले," रुको राजन मुझे इसमें छल दिखता है।"
 पर राजा बली बोले ," में अपने शब्द से मुकर नहीं सकता।"

ओर उन्होंने वामन से मन चाही भूमि लेने के लिए कहा । यह बात सुनते हैं वामन विशाल होने लगे ओर वह अति विशाल हो गए उन्होंने पहला कदम पृथ्वी पर रखा उससे पूरी पृथ्वी व्याप ली। दूसरा कदम स्वर्ग पर रखा । फिर उन्होंने राजा बलि से कहा ,"है राजा स्वर्ग और धरती मेरी है पर अब मुझे तीसरा कदम रखने केलिए जगा नहीं दिख रही।"


वामन का तीसरा कदम 

इस पर राजा बलि बोले," आप तीसरा कदम मेरे सर पर रखिए । ओ अभी तक मेरा ही है।"
तो वामन उन्हें तीसरा कदम सर पर देते हैं जिससे राजा बली पाताल लोक में धस जाते है। उनके पाताल लोक में धसने के बाद वामन उन्हें आज्ञा देते है ,अब से तुम सिर्फ पाताल लोक पे राज्य करोगे। ओर बली कहते है जैसे आपकी आज्ञा।वामन पहले ही बली की दान वीरता पर खुश हो गए थे। तब वह राजा बलि को आशीर्वाद देते है कि तुम धरती पर एक धर्म परायण राजा के रूप में जाने जाओगे ओर तुम साल में एक बार तुम धरती पर आ सकोगे उस दिन लोग तुम्हारा बड़े उत्सवसे स्वागत करेंगे। वहीं दिन हम आज दीपावली पर्व का चोथा दिन मानते है ओर कुछ लोग उसे बलिप्रतिपदा भी कहते है।

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