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क्यो की देवव्रत ( भीष्म ) को उनकी माँ (गंगा) ने मारने की कोशिश ? | kiv ki devavrat (bhisham) ko unki maa (ganga) ne marneki koshish ( hindu mythology)

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क्यो की  देवव्रत ( भीष्म ) को उनकी माँ (गंगा) ने मारने की कोशिश ?   kiv ki devavrat (bhisham) ko unki maa (ganga) ne marneki koshish ( hindu mythology) वशिष्ठ का वसुओ को शाप | vashishtaka vasuo ko shap वशिष्ठ ऋषि के पास कामधेनु गाय थी । उस गाय की चर्चा तीनो लोको में थीं। एक दिन आठ वसुवोने जब उसके बारेमे सुना तो उसका हरण करने का सोचा। वह सब ऋषि वशिष्ठ के आश्रम गए और उनमेंसे एक ने उनकी गाय चुराली। यह बात जब वशिष्ठ ऋषि को समझी तो उन्हें बडा क्रोध आया । उन्होंने कहा की ,"गाय चुराना मनुष्य गुण है और तुम्ह वसु हो कर भी मनुष्य जेसी हरकत करते हो ,में तुम्हे शाप देता हूं कि तुम सब मनुष्य योनि में जन्म लोगे।" यह सुनकर वसु डर गये औेर उन्होंने वशिष्ठ ऋषि से कहा," महर्षि हमसे गलती हो गई , हमे शमा करे हम आपके शरण मे आये है।" उनकी शमा याचना सुन ऋषिका मन पिघल गया और उन्होने कहा , में मेरा शाप वापिस तो नही ले सकता पर  में तुम्हें ऐसा आशीर्वाद देता हूं कि तुम्हारा मनुष्य रूप में जन्म होते ही तुम्हें मुक्ति मिलेगी। लेकिन तुम्हमेंसे एक को अपने पापोका  प्रायश्चित करने क...

क्यो किया मेनका ने विश्वमित्र का तपोभंग और कैसे बने विश्वामित्र ब्रम्हऋषि?| Kyo Kiya menka ne vishvamitr ka tapobhang or kese bane vishvamitr bramhrushi

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क्यो किया मेनका ने विश्वमित्र का तपोभंग और कैसे बने विश्वामित्र ब्रम्हऋषि? | Kyo Kiya menka ne vishvamitr ka tapobhang or kese bane vishvamitr bramhrushi विश्वामित्र एक महान ऋषि थे लेकिन उससे पहले वह एक क्षत्रिय थे उन्होंने अपने तपोबल से ब्रम्हा द्वारा ब्रम्हऋषि का पद हासिल किया और उन्होंने ही गायत्री मंत्र का निर्माण किया था। विश्वामित्र एक क्षत्रिय राजा थे। एक बार वह अपनी सेना के साथ जंगल मे शिकार करने गए थे। कुछ दिन पच्छात वह महर्षी वशिष्ठ के आश्रम में पोहच गए। वहा पर उन्होंने ऋषि के दर्शन किये और वहासे जल्दही जाने की आज्ञा मांगी और वशिष्ठ ऋषि ने उन्हें आग्रह पूर्वक रोक लिया। लेकिन विश्वामित्र को लगा कि इतनी बड़ी सेनाका वह कैसे आतिथ्य करेंगे इससे अच्छा हमे यहासे चले जाना चाहिए। लेकिन ऋषि के बार बार आग्रह करने पर वह रुक गए। वशिष्ठ ऋषि ने कामधेनु गाय का आव्हान किया और उस गाय द्वारा दिया गया भोजन सबको परोसा गया। विश्वामित्र आश्रम में चार पांच दिन रहे ,ओर उनके मन मे कामधेनु गाय को अपने साथ लेजाने की लालसा उत्पन्न हुई । द्रोणाचार्य पांडवो ओर कौरव के गुरु केसे बने? | kese bane...

क्यो किया भगवान परशुराम ने अपनी माता रेणुका का वध?| kiv kiya bhagvan parshuram ne apni mata renukaka vadh

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क्यो किया भगवान परशुराम ने अपनी माता रेणुका का वध ? kiv kiya bhagvan parshuram ne apni mata renukaka vadh जमदग्नि ऋषि और माता रेणुका ने घोर तपस्या करने के बाद उनके घर आशीर्वाद रूप में एक पुत्र जन्मा उसका उन्होंने नाम राम रखा। उस पुत्र ने भगवान शिव की तपस्या कर एक परशु प्राप्त किया जिसके कारण उसका नाम परशुराम पड़ गया। परशुराम को भगवान विष्णु का छटा अवतार कहा जाता है। जिनका जन्म क्षत्रियों के बढते वर्चस्व को खत्म कर समाज मे संतुलन बनाने के हेतु से हुवा था। यह उनके जीवन की एक कहानी है। अश्वत्थामा को कृष्ण का शाप | krushanka ashwathama ko shap immortal ashwathama जमदग्नि ऋषि और माता रेणुका के शादी के बाद रेणुका माता जमदग्नि ऋषि को अपने हर कार्य मे मदत करती थी। जब भी ऋषि कुछ यज्ञ होम हवन करते तो रेणुका उसमे उनकी मदत करती । यज्ञ की सामग्री लाना , तयारी करना यह सब कार्य वह मन पूर्वक करती थी। वह हर सुबह उठ कर पानी लाती थी इसके लिए वह हर रोज अपने तपोबल औऱ कार्य को समर्पित होने के कारण मिलनी वाली शक्ति से सूखी रेत का घड़ा बनाकर उसमें पानी भर लाती। parshuram by rajaravi varma माता र...

अश्वत्थामा को कृष्ण का शाप | krushanka ashwathama ko shap immortal ashwathama

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अश्वत्थामा को कृष्ण का शाप |  krushanka ashwathama ko shap immortal ashwathama भीम की गदा का वार  दुर्योधन की जांग पे जब बैठा तब दुर्योधन वेदना असहनीय हो कर जमीन पे गिर गया।अब उसमे उठाने का भी बल नहीं रहा , पांडवों ने सोचा यह युद्ध का अंत है। ओर वह मरते हुए दुर्योधन को वहीं छोड़ कर चले आए। काश उनका सोचना सही होता । काश...... पर नियती को यह मंजूर नहीं था। ओर जो होने वाला था शायद किसीने सोचा नहीं था। अभिमन्यु का चक्रव्युह भेदन | Mahabharat me Abhimnuvyu ka Chakraviv Bhedana अश्वत्थामा का  दुर्योधन को  वचन |  ashwathama ka duryodhan ko vachan अपने मित्र दुर्योधन  के बारेमे सुन अश्वत्थामा उससे मिलने गया। उसकी हालत देख वह दुखी एवं क्रोधित हुवा , तब मरते हुए दुर्योधन को उसने कहा," जिन्होने तुम्हारी ऐसी हालत की है उन पाचो पांडवो का सिर काट कर में तुम्हारे सामने प्रस्तुत करुगा । " उसकी यह बात सुन दुर्योधन के मन मे फिर से पांडवो को मारने की लालसा जागी। उसने उसी समय अपनी बचे खुचे सहकरियोको जमा किया ओर अश्वत्थामा को विधिवत सेनापती बनाया। अब अश्वत्थामा क...

अर्जुन की जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा और कृष्ण लीला। Arjun ki Jaydrat ko marneki pratigya or krushan lila

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अर्जुन की जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा और कृष्ण लीला। तेरहवे दिन का युद्ध समाप्त हो चुकाथा । अर्जुन अपनी विजय यात्रा समाप्त कर शिविर की ओर लौट रहे थे। आज के दिन भी अर्जुन ने अनेक रथी महारथियों को परास्त कियाथा। जब वह शिविर लोटे तो शिविर में वह चलह पहल नही थी जो रोज होती थीं। उन्हें कुछ अनहोनी की आकांक्षा हुई ,उन्हें लगा शायद युधिष्ठिर को तो कुछ नही हुवा ? लेकिन शिविर पोहचेने पर युधिष्ठिर को सही सलामत देख उनके जान में जान आई। jaydrat vadh अभिमन्यु का चक्रव्युह भेदन | Mahabharat me Abhimnuvyu ka Chakraviv Bhedana अर्जुन की  प्रतिज्ञा | Arajun ki pratigya सब अर्जुन की राह देख रहेथे। उनके मलिन चेहरे देख अर्जुन के मन को किसी अनजाने भय ने घेर लिया। जब अर्जुन और कृष्ण अपने रथ से उतरे तो अर्जुन ने अनायास ही अभिमन्यु के बारेमे पूछा। अभिमन्यु का नाम सुनतेही युधिष्ठिर की आँखे भर आई । अर्जुन के जोर देने पर युधिष्ठिर ने सारी कहानी अर्जुन को बताई। अपने प्रिय पुत्र की मृत्यु की बात सुन अर्जुन सुन हो गए। उनका शरीर बर्फ की तरह शीतल लगने लगा और उन्हें ऐसे अवस्था मे भी पसीना आने ल...

अभिमन्यु का चक्रव्युह भेदन | Mahabharat me Abhimnuvyu ka Chakraviv Bhedana

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अभिमन्यु का चक्रव्युह  भेदन |  Mahabharat me Abhimnuvyu ka Chakraviv Bhedana  युद्ध चालू हुये बारा दिन हो गए थे । कौरव और पांडव , दोनो ही सेनाकी अपरिमित हानि हो चुकी थी। ओर युद्ध के दसवें दिन महारथी ओर सबके वंदनीय भीष्म पितामह बाणों की  शया पर लेट कर युद्ध को त्याग दियाथा। क्यों किये भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े और केसे बने शक्तिपीठ? | kyo kiye bhagavan vishanune sati ke sharir ke tukade or kese bane shakti pith द्रोणाचार्य द्वारा चक्रव्युह रचना  भीष्म के गिरने के बाद यह धर्म युद्ध अब धर्म युद्ध नही रहथा। कोन क्या करेगा कह नही सकते थे।इस युद्ध को जल्दीसे जलदी खत्म करने के लिए कौरव सेनाके नए सेनापति द्रोणाचार्य ने अपना पूरा ध्यान युधिष्टर पेर केंद्रित करने की ठान ली थी। युधिष्ठिर को पकड़ने के बाद युद्ध तो वैसेही खत्म हो जाता। इसलिए उन्होंने युद्ध के तेरहवे दिन नया विव्ह रचा उसे चक्रव्युह  कहते थे। लेकिन उनके सामने एक समस्या थी, अर्जुन। अर्जुन चक्रव्युह को भेदना भली भांति जाणतात था। तो उन्होंने तय किया कि चक्रव्युह की रचना क...

क्या भगवान श्रीकृष्ण की 16008 पत्नी या थी? | bhagwan shri krishna ki kitni patniya thi ?

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क्या भगवान श्रीकृष्ण की 16008 पत्नी या थी? |  bhagwan shri krishna ki kitni patniya thi? bhagavan krushna krishna ki patniyo ke naam ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की 16008 पत्निया थी । और इसके बारेमे कुछ कहानिया भी प्रचलित हैं। अगर कहा जाए तो श्रीकृष्ण की आठ पत्निया थी उनके नाम रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रविंदा, नाग्नाजिती, भद्रा और लक्ष्मणा थे। उनमेंसे रुक्मिणी श्रीकृष्ण की मुख्य रानी मानी जाती है। अब आतेहै 16000 पत्नी यो पर...... केसे मिला कर्ण को परशुराम का शाप? | kese mila karn ko parshuram ka shap? story of 16000 wives of krishna in hindi द्वापरयुग में भारत के उत्तरपूर्व की ओर नरकासूर नामक राक्षस राज्य करतात था। वह बड़ा शक्तिशाली था । उसने अपने आसपास के सभी राज्योको अपने अधीन कर लिया था और उसने उस राज्य की राजकुमारी ओर रानीयो को बंधी बना लियाथा। वह बस वही तक नही रुका उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर इंद्रा को हराया था। और उसके बाद देव माता अदिति के कान की बालिया लेकर भाग गयाथा ओर जब उसने पाताल पर आक्रमण किया तो उसने वरुण देव का शाही छाता अपने वि...

कंस ने क्यो अपनी बहन को बंधी बनाया ?और कृष्ण जन्म कथा.| kans ne kiv apni bahan ko bandhi banaya or krushan janm katha

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कंस ने क्यो अपनी बहन को बंधी बनाया ?और कृष्ण जन्म कथा. द्वापरयुग में पाप बढ़ रहाथा इस कारण वश धरती के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने धर्म रक्षा के लिए नया अवतार लिया जो भगवान कृष्ण के नाम से प्रसिद्ध है । उनके जन्म की एक अनोखी कहानी है। कंस का पिता  विरोध  द्वापरयुग में उग्रसेन नामक राजा मथुरा पर राज्य कराता था।  राजा स्वभाव शांत थे और प्रजा में प्रिय भी थे। लेकिन उनका पुत्र कंस ठीक उनके विपरीत था ।वह स्वभावसे ही कपटी ओर छली था। वह मायावी होने के साथ साथ के राक्षोसोका स्वामी ओर मित्र भी था। उसके पिता उग्रसेन के बाद राज पाठ सभी उसीका होने वाला था। पर वह इतना इतजार नही कर सका और अपने पिताके खिलाप उठाव कर उन्हे बंदी बनालिया ओर कारावास में डाल दिया। जिस किसीने भी उसके खिलाफ आवाज उठाई उसे मार दिया गया। ओर कंस मथुराक राजा बन गया। बाल कृष्ण  क्यों हुआ समुद्र मंथन ? क्यों छोड़ दिया माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को? | kyo huva samudra manthan? kiv chhod diya devi laximine bhagvan vishnuko?  बहन और बहनोई को कारागार  वह स्वभाव से केसा भी हो पर वह अपनी बहन दे...

क्यों हुआ समुद्र मंथन ? क्यों छोड़ दिया माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को? | kyo huva samudra manthan? kiv chhod diya devi laximine bhagvan vishnuko?

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क्यों हुआ समुद्र मंथन ? क्यों छोड़ दिया माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को? एक बार दुर्वासा ऋषी स्वर्ग से लोट रहेथे तभी उन्हें आते हुए इन्द्र देव दिखे। वह हाथी पर सवार थे ।उन्हें देखकर उन्हें लगा कि यह भगवान विष्णु ही है। इसलिए उन्होंने उनके तरफ फूलोकी माला फेकी लेकिन इन्द्र ने उन्हें अनदेखा किया ओर माला उनके हाथी एरावत पर गिरी ओर उसने वह माला झटककर नीचे गिर दी ओर अपने पैरो तले रोंदी। यह देख कर ऋषी को क्रोध आया ओर उन्होंने उसे शाप दिया कि वह श्री हिन ओर शक्ति हिन हो जायेगे। तब इंद्र को सारी सम्पत्ति सागर  में गिर गए ओर उसके साथ ही उसकी शक्तियां भी चली गई । ओर वहीं देवी लक्ष्मी भी सागर में चली गई । असुरोको जब यह पता चला कि इंद्र शक्ति हिन हो गया है , तब उन्होंने स्वर्ग पर आक्रमण कर स्वर्ग पर अपनी सत्ता स्थापित की ओर सभी देवतावो को स्वर्ग से हकाल दिया। क्यों किया महादेव ने कामदेव को भस्म ओर केसे हुआ शिव पार्वती विवाह?| kyo kiya madev ne kamdev ko bhasm or kese huva shiv parvati vivah? samudra manthan सारे देवता पराजय ओर स्वर्ग हात से जाने के कारण मदत मांगने के लिए भगवान व...

क्यों किया महादेव ने कामदेव को भस्म ओर केसे हुआ शिव पार्वती विवाह?| kyo kiya madev ne kamdev ko bhasm or kese huva shiv parvati vivah?

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क्यों किया महादेव ने कामदेव को भस्म ओर केसे हुआ शिव पार्वती  विवाह? महादेव सती के मृत्यु के बाद उसका शरीर लेकर चारो और घूम रहे थे तब विष्णु ने उनके टुकड़े कर के शरीर को नष्ट कर दिया । जब महादेव ने देखा कि ओ अब ऐसे ही घूम रहे है तब वह एक जगह रुख गए ओर उन्होंने एक गुफा अपना निवास स्थान बना लिया। जहा पर वह समाधि लगाकर बैठ गए । उस समय राक्षसो का राजा तारकासुर था।उसने ब्रम्हा की घोर तपस्या की ओर उन्हें प्रसन्न कर लिया।तब ब्रह्माजी प्रगट हुए ओर उन्होंने तारकासुर से वरदान मांगने के लिए कह, तारकासुर बड़ा चालख था उसने कहा , "मेरी मृत्यु सिर्फ भगवान शिव के पुत्र के द्वारा ही  होगी।" तो ब्रम्हा ने उसे यह वरदान दिया कि उसकी मृत्यु सिर्फ भगवान शिव के पुत्रके हातों होगी। तारकासुर को पता था कि महादेव सती की विरह में है और अब किसिभी परिस्थिति में शादी नहीं करेंगे तब उनका कोई पुत्र नहीं होगा ओर उसकी कभी मृत्यु भी नहीं होगी। shiv parvati क्यों किये भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े और केसे बने शक्तिपीठ? | kyo kiye bhagavan vishanune sati ke sharir ke tukade or kese bane ...