अभिमन्यु का चक्रव्युह भेदन | Mahabharat me Abhimnuvyu ka Chakraviv Bhedana

अभिमन्यु का चक्रव्युह भेदन | Mahabharat me Abhimnuvyu ka Chakraviv Bhedana युद्ध चालू हुये बारा दिन हो गए थे । कौरव और पांडव , दोनो ही सेनाकी अपरिमित हानि हो चुकी थी। ओर युद्ध के दसवें दिन महारथी ओर सबके वंदनीय भीष्म पितामह बाणों की शया पर लेट कर युद्ध को त्याग दियाथा। क्यों किये भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े और केसे बने शक्तिपीठ? | kyo kiye bhagavan vishanune sati ke sharir ke tukade or kese bane shakti pith द्रोणाचार्य द्वारा चक्रव्युह रचना भीष्म के गिरने के बाद यह धर्म युद्ध अब धर्म युद्ध नही रहथा। कोन क्या करेगा कह नही सकते थे।इस युद्ध को जल्दीसे जलदी खत्म करने के लिए कौरव सेनाके नए सेनापति द्रोणाचार्य ने अपना पूरा ध्यान युधिष्टर पेर केंद्रित करने की ठान ली थी। युधिष्ठिर को पकड़ने के बाद युद्ध तो वैसेही खत्म हो जाता। इसलिए उन्होंने युद्ध के तेरहवे दिन नया विव्ह रचा उसे चक्रव्युह कहते थे। लेकिन उनके सामने एक समस्या थी, अर्जुन। अर्जुन चक्रव्युह को भेदना भली भांति जाणतात था। तो उन्होंने तय किया कि चक्रव्युह की रचना क...